नवरतनगढ़ के इतिहास से जुड़ी रहस्यमय बातें : नवरतनगढ़ जिसे (डोइसागढ़ )के नाम से भी जाना जाता है गुमला जिले के सिसई प्रखण्ड मे अवस्थित है । इसका निर्माण छोटानागपुर मे सबसे लंबे समय तक राज करने वाले 45वे नगवंशी राजा दुर्जन साल द्वारा 16-17वी सदी के बीच करवाया गया था । छोटानागपुर के नगवंशी राजाओ का किला करीब 400 साल पुराना है । उत्तर-मध्यकाल मे यह नगवंशियों का राजधानी हुआ करता था। उपलब्ध प्रमाणों से पता चलता है की यह एक नौ मंजिल भवन है जिसके हर मंजिल पर नौ -नौ कमरे मौजूद थे ।वर्तमान समय मे इस महल के केवल तीन मंजिल सेस है। नौ की संख्या के कारण ही इसका नाम नवरतनगढ़ पड़ा ।
नगवंशियों का सासन :-
नगवंशी राजा दुर्जन साल हीरो के बहुत बड़े पारखी थे । जहांगीर के सासन काल के समय राजा दुर्जन साल ने सम्राट अकबर द्वारा तय वर्सिक राजस्व का भुगतान करने से मन केर दिया था , तब जहांगीर ने छोटानागपुर के राजा को वस मे करने के लिए और मूल्यवान हीरो को प्राप्त करने के लिए छोटानागपुर पर आक्रमण करने का फैसला किया ,और 1608 ई मे जहांगीर ने राजा दुर्जन साल को ग्वालियर किले मे कैद कर लिया । मगर 12 साल बाद1620 मे राजा दुर्जन साल के हीरो की परख की प्रतीभा को देखते हुआ उन्हे कैद से मुक्त कर दिया गया। वहा से लौटने के बाद राजा दुर्जन साल मे 16-17 वी सदी के बीच सिसई स्थित नवरतनगढ़ मे महलों तथा मंदिरों का निर्माण करवाया । नगवंशी परम्पराओ के अनुसार राजा इस स्थान पर बहुत कम समय तक रुके और उन्होंने अपनी राजधानी पालकोट (पंपापुर) स्थानांतरित कर दी ।
नवरतनगढ़ मे निर्मात मुख्य संरचनाए :-
1 साही महल ,2साहि दरबार 3 साही सरोवर ,4 जगरनाथ मंदिर,5 दुर्गा मंदिर ,6 लुका छिपी मठ ,7 कमल साही महल ,8 रानी का महल, इत्यादि । इन सभी महल ,मंदिर एवं मठ का निर्माण पत्थर व ईटों को चुने के मसले से जोड़केर बनाया गया है । जिसे भारत सरकार द्वारा 27 सितंबर 2019 मे राष्ट्रीय धरोहर घोसीत कर दिया गया था ।
नवरतनगढ़ कैसे पहुचे ?
नवरतनगढ़ किला राजधानी रांची से करीब 75km दूर स्थित है और गुमला जिले से करीब 30km दूर सिसई प्रखण्ड में स्तिथ है ।
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