Bindu Basaer Viral Story: दोस्तों क्या आपको पता है झारखण्ड में एक जगह ऐसी भी है जहाँ पर 7 भाइयों ने मिल कर खाई थी अपने सगी बहन का मांस । इस जगह का नाम है बिंधू बसाईर और यहाँ पर जो घटना सतयुग में घाटी थी उसको झारखण्ड सरकार भी मानती है और इस जगह पर इस कहानी से जुड़ी कुछ-कुछ अंस अभी भी यहाँ पर मौजूद है । बिंधू बसाईर झारखण्ड राज्य की राजधानी रांची शहर से लगभग 35 किलोमीटर की दुर ठाकुरगांव नामक जगह के आस-पास पर स्तिथ है । तो चलिए इस लेख में जानते है बिंधू बसाईर की कहानी , बिंधू बसाईर आप कैसे पहुँच सकते है ?
बिंधू बसाईर आप कैसे पहुँच सकते है ? : How To Reach Bindu Basaer
बिंधू बसाईर जाने का एक मात्र विकल्प ये है की आप अगर रांची से दूर किसी जगह से है तो पहले रांची आ जाएँ फिर वहां से लगभग 35 किलोमीटर दूर ठाकुरगांव पहुँच सकते है । ये सफर आप अपने खुद की गाड़ी से कर सकते है या फिर कैब भी बुक कर सकते है । ठाकुरगांव पहुँच कर वहां के स्थानीय लोगो से इसका रास्ता पूछ कर यहाँ तक पहुँच सकते है ।
बिंधू बसाईर सतयुग की सच्ची एक कहानी । Bindu Basaer Story
दोस्तों ये कहानी है 7 भाई और 1 बहन की है जो की सभी एक साथ मिल जुल कर एक ही घर में रहते थे और काफी खुस भी थे । सातों भाई घर से बाहर खेतों में रोज काम करने जाते और बहन अकेली घर में रहती थी । 7 भाई में से एक भाई जो की सबसे छोटा होता है वो अँधा होता है । दिन ठीक-ठाक गुजर रहा होता है, फिर एक दिन जब सातों भाई काम पर निकल रहे होते है और अपनी बहन को वे आदेश देते है की वो घर का सारा काम जैसे खाना, सब्जी , पानी आदि वे लोग के आते तक ख़तम कर के रखे ।
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बहन अकेली घर में खाना बना रही होती है तभी साग सब्जी काटते-काटते उसका हाथ कट जाता है, और वो सोचने लगती है की अब इस खून को वो कहाँ पोछे अगर वो दीवाल में पोछे तो भईया देख लेंगे और अगर कपड़ा में पोछे तो भी वे देख लेंगे, ये सोच कर के वो साग में ही पोछ लेती है जिसका वो सब्जी बना रही थी । फिर रोज की तरह उसके सभी भईया काम से लौटते है उसकी बहन खाना परोसती है । लेकिन जब उनके भाइयों ने खाना खाया तो सब्जी का स्वाद रोज से कुछ अलग पहले जो वे खाते थे उससे उच्च अधिक अच्छा लगा उसके भाइयों को ।
ये सब होने के बाद जब भाइयों ने अपनी बहन से पूछा की सब्जी का स्वाद का क्या राज है पहले तो उनकी बहन बताने से मना की लेकिन बार-बार पूछने से वो सारा मामला बता देती है । फिर सभी भाइयों ने मिलकर एक प्लान बनाया की वे उसकी बहन को मार कर खा जायेंगे उन्हें लगता था की अगर उनकी बहन का खून इतना स्वादिस्ट है तो मांस कितना स्वाद होगा । लेकिन जो सबसे छोटा भाई होता है वो इसके खिलाफ था क्योंकि वो अपनी बहन से काफी प्यार करता था ।
सभी प्लान के अनुसार सिकार के लीये निकलते है । छोटा भाई सब कुछ जानते हुए भी कुछ नहीं कर सकता था क्योंकि वो बहुत छोटा था । फिर वे इस फोटो में दिखाए गए जगह पर अपना डेरा डालते है ।
फिर अपनी बहन को वे एक केंद के पेड़ के पास छोड़ के थोड़ी दूर जाते है फिर छिप के सभी एक एक कर के अपनी बहन पर तीर से निशाना लगते है , लेकिन 6 में से किसी का भी निशाना सही नहीं लगता जब छोटे भाई का पारी आता है तब उसका तीर जेक सीधे उसकी बहन पर लगती है और वो मर जाती है । वो बेचारा तो अँधा होता है वो नहीं चाहते हुए भी अपनी बहन का खून कर दिया ।
फिर अब बात आती है की उसकी बहन को कैसे काटा जाये । वे सोचते है की अगर उनका छोटा भाई वहां पर रहेगा तो काटने नहीं देगा तो वो उसे चोटी सी रस्सी देकर लकड़ी लेने भेज देते है ताकि थोड़ा ज्यादा समय लगे और वे अपना काम अच्छे से कर पायें । जब वो छोटा भाई चला जाता है वहां जा के वो रोने लगता है तभी एक सांप उसके सामने आत है और पूछता है क्या हुआ तो वो कहता है की मेरे भाइयों ने मुझे लकड़ी लेने के लिए भेजे है और रस्सी इतना छोटा है की मई ले भी नहीं सकता और जल्दी नहीं गया तो वहां पर मेरी बहन को काटा जा रहा है । फिर सांप बोलता है मत रो मै रस्सी बन के तुम्हारे लकड़ी में लपेट जाता हूँ और तुम लेके घर चलो फिर मै आ जाऊंगा । फिर जब वो छोटा भाई लकड़ी लेके घर आ जाता है तो उनके भाइयों ने ये देखकर अस्चर्य हो जाते है की ये छोटा सा रस्सी में इतना सारा लकड़ी कैसे लेकर आ गया ।
फिर थोड़ा और देर होने के लिए अब वे उसे घड़ा को छेद कर के पानी लाने के लिए भेजते है वो जाता है फिर कुवां के पास बैठकर रोने लगता है। ये सब देख कुवां का मेंढक पूछता है क्या हुआ क्यों रो रहे हो फिर वो वही बात बताता है जो सांप को बताई थी तब मेंढक बोलता है मत रों मै तुम्हारे घड़ा का छेद में चिपक जाता हूँ तुम जल्दी से पानी ले चलो फिर मै वापिस आ जाऊंगा ।
लेकिन तब तक बहुत देर हो चूका था उसके भाइयों ने उसकी बहन का सब्जी पका चुके थे । आब आती है खाने की बारी , खाने में भी वो छोटा भाई नहीं खाता है मांस के जगह वो केकड़ा और मछली खता है जो की वो दिन में पकड़ा था पानी लेने गया हुआ था तब । क्योंकि वो अपनी बहन का मांस खा नहीं सकता था जब रात में सभी सो जाते है वो उठ कर आत है इस जगह पर जिसका फोटो दिखाया गया है ।
इस गढ़हे (टीला ) में डाल देता है । और कुछ दिन बीत जाने के बाद वहां पर बांस का पौधा निकल आता है । एक दिन ये होता है एक गरीब व्यक्ति वह से गुजर रहा होता है , तो वो इस सुंदर-सुंदर बांस को देख के कुछ बनाने का सोचता है और काट कर ले जाता है और उससे एक केंद्रा ( एक प्रकार का बजने वाला यंत्र ) बनाता है । वो भिखारी उसे बजा-बजा कर घर-घर जाकर भीख मांगता था । भीख मांगते-मांगते वह एक दिन उस घर में पहुँच जाता है जहाँ वो सतो भाई रहते थे तब तक वो अलग-अलग रहने लगे थे । एक एक कर के छेवो भाई का घर जाता है लेकिन किसी का घर में वो केंद्रा नहीं बजता है उस केंद्रा से धुन कुछ इस प्रकार से निकलता था ” ना बाज रे केंद्रा इ तो तोर दुसमन कर घर लगे ” लेकिन जब वो काना भाई जो की सबसे छोटा था उसका घर जाता है तब वो केंद्रा बजने लगता है और उससे ये धुन निकलता है ” बाज-बाज रे केंद्रा इ तो तोर छोटका भाई कर घर लागे ”
फिर वो भिखारी रात हो जाने के कारण उसी काना भाई के घर में रुक जाता है और सुबह जल्दी जाने के हड़बड़ी में अपना केंद्रा वही भूल के चला जाता है । फिर अगले दिन जब काना भाई घर से बाहर काम पर जाता है तो वापिस आके देखता है घर का सारा काम किया हुआ है । ये सब देख के वो अस्चर्य हो जाता है और दुसरे दिन वो काम जाने के बहाने वहीँ कही चिप के देखता है की ये सब कैसे हो रहा है तो वो देखता है उस केंद्रा से एक मख्ही बहार आता है और लड़की का रूप लेके घर का सारा काम कर देती है तभी वो दौड़ कर जाता है और उस केंद्रा को तोड़ देता है और वो माखी उसके अन्दर नहीं जा पता और वो दोनों साथ-साथ खुसी से पहले जैसा रहने लगते है ।
ये बात तो रही भईया सतयुग की जिसे हम गोद में थे तब से माँ, दादी , नानी से सुनते आ रहे है । इस बात पर कितना सच्चाई है मै भी नहीं कह सकता हूँ लेकिन अगर आप इस जगह पर जाते है तो कही-न-कही वो कहानी भी हकीकत लगने लगेंगी ।
धन्यवाद् !